फिंगर प्रिंट
दौड़ते आ रहे,
एक रास्ते के मोड़ पर
थानेदार से हवलदार
टकराया ।
जिसे देखते ही
थानेदार गुर्राया-
क्यों बे ,चोर भाग गया ?
और तू उसे पकड़ नहीं पाया।
अगर ऐसे ही काम करेगा ,
तो हवलदार से थानेदार
कैसे बनेगा ?
पहले तो हवलदार घबराया
फिर थानेदार से फरमाया-
सर ,चोर तो भाग गया,
पर जाते -जाते वह अपना
फिंगर प्रिंट मुझको दे गया है,
आप कहें तो
उसकी फोटो कापी
करवा लेते हैं,
और सारे अखबार में
छपवा देते हैं।
सर, उससे चोर का भी
पता चल जाएगा
और अपने को
माल भी मिल जाएगा ।
सुनते ही
थानेदार मुस्कराया,
और हवलदार की
पीठ को थपथपाया ।
अरे फिर तो वाकई
तुमने गजब किया है,
जो चोर के फिंगर प्रिंट को
ढॅूंढ़ लिया है ।
जरा मुझे भी दिखाओ
और साले चोर को
पकड़वाओ ।
तब हवलदार ने
तुरंत ही
रूमाल को हटाया
और अपने गाल में
उछल आये ,
फिंगर प्रिंट को
दिखाया ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’