शहर जबलपुर जानिए.....
ऋषि जाबालि का नगर, पावन पुण्य महान।
नाम जाबालिपुरम् से, कभी रही पहचान।।
शहर जबलपुर है बसा, हमको उस पर नाज ।
मिली जुली संस्कृति यहाँ, खुशहाली का राज ।।
भारत के है बीच में, इसका धन्य स्वनाम।
है महर्षि जाबालि का,सुप्रसिध्द यह धाम।।
आदि शंकराचार्य ने, जला ज्ञान की ज्योत।
ग्रंथ नर्मदाष्टक लिखा, भक्ति मुक्ति का स्त्रोत।।
बहे सरित पावन यहाँ, कहें नर्मदा धाम।
दर्शन करने मात्र से, बनते बिगड़े काम।।
शिक्षा का है केन्द्र यह, संस्कृति से धनवान ।
सरिता तट पर है बसा, सदियों से पहचान ।।
देख मुग्ध पर्यटक गण, भेड़ाघाट प्रसंग।
होता ग्वारीघाट में, नित नवीन सत्संग ।।
मंदिर चौंसठ योगिनी, शिल्प कला इतिहास ।
धुआँधार और पंचवटी, हर लेती संत्रास ।।
शरद पूर्णिमा दिवस में, स्वर्ग भरा आभास ।
एक बार छवि देख लेेे, बुझ जाती है प्यास ।।
रानी दुर्गावती का, स्वर्णिम है इतिहास ।
गौंड़ वंश के राज का, मदन महल है खास।।
त्रिपुर सुंदरी दिव्य है, शिव का रूप विशाल।
पिसनहारि को देखते, झुक जाता है भाल।।
नगर जबलपुर की धरा, संस्कार सरताज।
रचनाकारों से भरी, सबको इस पर नाज।।
नूर, भवानी, कामता, केशव, हैं विख्यात।
परसाईं,रजनीश की, मिली हमें सौगात।।
अंचल, माखनलाल जी, जग जाहिर ये नाम।
आजीवन इनने किया, हिन्दी पर नित काम।।
लिखा सुभद्रा ने यहाँ, गीत काव्य बिंदास ।
लक्ष्मीबाई का अमर,लिखा गया इतिहास।।
नेता जी की याद की, छवि कमानिया गेट ।
मदन महल की वादियाँ, अनुपम प्राकृत भेंट ।।
योगी महर्षि, रजनीश, जग में इनका नाम ।
पूज्य रामकिंकर रहे, मानस के गुण धाम ।।
न्यायालय भी उच्च हैं, विद्युत मंडल केन्द्र।
बरगी डेम विशाल है, लगता नगर सुरेन्द्र।।
देश प्रेम रग-रग बसा, धर्म कला साहित्य ।
विश्व क्षितिज में छा गया, जीवन का लालित्य ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’