अब दुश्मनी को भूल कर, कुछ काम होना चाहिए.....
अब दुश्मनी को भूल कर, कुछ काम होना चाहिए ।
हर भेद भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
पी चुके कितना -गरल हम, मुख पर रखी हैं चुप्पियाँ ।
बेचैन मानव हैं सभी,सुख-शांति लगतीं भ्रांतियाँ
बस प्रेम के अनुबंध का,अनुवाद होना चाहिए।
हर भेद भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
संसार के कल्याण की, यह भावना हमसे जगी,
चहुँ शांति अरु सद्भाव की,गूँजें सनातन से लगी ।।
अब वेद के हर मंत्र का, अनुनाद होना चाहिए।
सब भेद-भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
सद्भावना निर्माण में, किंचित् नहीं बाधक बने,
हम प्रेम,श्रद्धा-भाव से, निश्छल हृदय-साधक बने।
अब दीनता की सोच का, अवसाद होना चाहिए,
हर भेद भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
हमने न चाहा है कभी,रिपु-दिल दुखा हँसते रहें।
सारे जगत के सामने, फिर शर्म से झुकते रहें।
दुश्मन खड़ा हो सामने,प्रतिवाद होना चाहिए।
हर भेद भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
दानव खड़ा हो सामने, तब हाथ में तलवार हो ,
हम ध्यान इसका ही रखें,बस कंस का संहार हो।
जब कृष्ण अपने सारथी, आह्लाद होना चाहिए।
हर भेद भावों को भुला, संवाद होना चाहिए।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’