भारतीय आयुर्वेद में असगंध, अश्वगंधा का रोग निदान में महत्व एवं उपयोग
भारत आयुर्वेद का, जनक निपुण-विद्वान।
वेदों में यह वेद है, रखे स्वस्थ बलवान।।
भावार्थ - भारत चार वेदों का जनक माना जाता है जिनमें एक आयुर्वेद है। चिकित्सा का यह वेद जो मानव को स्वस्थ और बलवान बनाने में निपुण विद्वानों द्वारा रचित है।
यात्रा आयुर्वेद की, वर्ष सहस्त्रों पूर्व ।
योग ज्ञान विज्ञान में, विद्वत-जन से पूर्ण ।।
भावार्थ - आयुर्वेद की यह यात्रा तीन हजार वर्ष पूर्व की है। भारत हजारों वर्षों पूर्व से योग, चिकित्सा ज्ञान में पारंगत है।
जड़ी बूटियों में छिपी, रोग हरण की शक्ति।
सनातनी युग में मिला, कर ब्रह्मा की भक्ति।।
भावार्थ - सनातनी युग से हमारे ऋषियों ने प्रकृति में पाए जाने वाले पौधों से प्राप्त जड़ी बूटियों के द्वारा मानव केरोगों के उपचार खोज निकाला है। कहा जाता है कि सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी से धन्वंतरि जी ने यह विद्या प्राप्त की थी ।
धन्वंतरि जी ने किया, रोग निवारक खोज।
ब्रह्मा जी की है कृपा, आयुर्वेदिक ओज।।
भावार्थ - धन्वंतरि के रोग निवारक खोज के बारे में कहा जाता है कि सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी से धन्वंतरि जी ने यह विद्या प्राप्त की थी ।
पद चिन्हों में चल पड़े, अनुसंधानी रोज।
चरक चिकित्सक हो गए, रचा कृतित्व मनोज।।
भावार्थ - निरंतर खोज अनुसंधान होता रहा। चरक जी को आयुर्वेद का प्रथम चिकित्सक माना गया है जिन्होंने जड़ी बूटियों पर शोध अनुसंधान किया और सृजन किया।
संस्थापक ये ऋषि रहे , जग में है पहचान।
चरक-संहिता लिख गए , मानव का कल्यान।।
भावार्थ - आचार्य चरक जी ने चरक संहिता लिखा जो मानव जगत के कल्याण जग में विख्यात हुआ है।
सर्जन सुश्रुत ने किया, बड़ा अनोखा काम।
लिखकर सुश्रुत संहिता, खूब कमाया नाम।।
भावार्थ - आयुर्वेद में आचार्य सुश्रुत पहले सर्जन माने गये हैं जिन्होंने सुश्रुत संहिता का सृजन करके नाम कमाया।
पेड़ छाल पौधे सभी, जड़ पत्ते सह बीज।
प्रकृति जन्य उपहार हैं, शोध परक है चीज।।
भावार्थ - प्रकृति के पौधों के जड़, पत्ते, बीज, छाल उपहार स्वरूप हमें प्राप्त हुए हैं जो शोध के विषय हैं।
जड़ी-बूटियाँ कष्ट हर,करतीं रोग निदान।।
मानव की रक्षा करे, आयुर्वेदिक ज्ञान।
भावार्थ - आयुर्वेद में वृक्ष पौधों से प्राप्त जड़ी-बूटियाँ मानव के रोग दूर कर उनके कष्ट हर सुरक्षा प्रदान करतीं हैं।
असगंध का परिचय
पौधा है असगंध का, करता बड़ा कमाल।
नाम अश्वगंधा भला, इसने किया धमाल।।
भावार्थ - असगंध का पौधा जिसे अश्वगंधा भी कहते हैं। बड़े कमाल का पौधा है ।
अश्वगंध के नाम से, जग में भी विख्यात।
नाम अनेक हुए मगर, करे रोग संघात।।
भावार्थ - अश्वगंध के नाम से यह देश विदेशों में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है। यह कई रोग निवारक की क्षमता से युक्त है।
गुणकारी पौधा सुखद, जिसका नहीं जवाब।
सर्वश्रेष्ठ औषधि यही, शोधक रखें हिसाब।।
भावार्थ - यह गुणकारी पौधा का कोई जवाब नहीं शोधक इसका प्रयोग विभिन्न औषधियों में प्रयोग करते हैं।
लम्बे पत्ते शाख में, पतली टहनी देख ।
जड़ लंबी होती सदा, खेतों की है रेख।।
भावार्थ - शाख में लम्बे पत्ते पतली टहनियाँ लम्बी जड़ की वजह से खेत की मेढ़ों में पाया जाता है।
झाड़ी या पौधे कहें, हरित रहें सब पात।
मेढ़ पहाड़ी में उगें, दिखें सदा हर्षात।।
भावार्थ - अश्वगंधा पौधा के पत्ते हरे रहते हैं, मेढ़ों व पहाड़ी इलाकों में झाड़ीयों के रूप में पाया जाता है।
देश विदेशों में अलग,भाँति-भाँति के नाम ।
विंटर चेरि पॉयजनस, करे सभी सत्काम।।
भावार्थ - देश और विदेशों में अलग अलग नाम से जाना जाता है। इसे विंटर चेरि पॉयजनस के नाम से भी पुकारा जाता है।
नित्य शोध हैं हो रहे, रोगों का उपचार।
लगता ऐसा अब निकट, होगा बिग बाजार।।
भावार्थ - असगंध पौधे पर नित्य शोध हो रहे हैं। निकट भविष्य में इसका बाजार भी बड़े होने की संभावना है।
दिखने में छोटा लगे, अद्भुत है सम्मान।
अश्व-मूत्र की गंध से, हो जाती पहचान।।
भावार्थ - यह छोटा सा पौधा अद्भुत है। मलने पर अश्व-मूत्र की गंध आती है, यही इसकी पहचान है। इसलिए इसे अश्वगंधा के नाम से पुकारा जाता है।
नेत्र ज्योति में वृद्धि कर, पीड़ा-हरती नेत्र।
बड़ी जड़ी बूटी यही, व्यापक इसका क्षेत्र ।।
भावार्थ - इसकी जड़ी बूटी से आँखों के रोग हरण के साथ ही नेत्र ज्योति में वृद्धि भी करता है।
हरे रोग गलगंड के, दाबे अपनी काँख।
विज्ञानी औषधि निपुण, खुली देखते आँख।।
भावार्थ - अश्वगंधा,गलगंड के रोग में नियंत्रण के काम में भी आता है।
श्वेत-बाल यदि हो रहे, मत घबराएँ आप।
जडी़ अश्वगंधा मिले, मिट जाते संताप।।
भावार्थ - अश्वगंधा हो रहे सफेद बालों की भी रोक थाम कर चिंता से मुक्त करता है।
कब्ज समस्या हो अगर, करता रोग निदान।
अन्य उदर बीमारियाँ, का है अनुसंधान।।
भावार्थ - अश्वगंधा कब्ज समस्या और अन्य उदर बीमारियों के रोग निदान में सार्थक हो रहा है।
छाती में यदि दर्द हो, इसका बड़ा महत्व ।
गुम गठिया-उपचार में, यही इलाजी तत्व।।
भावार्थ - छाती में यदि दर्द हो या गुम गठिया हो गया हो तो इन सबका उपचार भी करने में सक्षम है।
क्षय-रोगों के हित यही,अनुपम करे इलाज।
रोग मुक्त टी बी करे, निर्मित स्वस्थ समाज ।।
भावार्थ - क्षय रोग की रोकथाम में भी यह अपना महत्व पूर्ण भूमिका निभा कर स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है।
ठीक करे ल्यूकोरिया, अश्वगंध सरताज ।
असगंधा में है छिपा, इसका पूर्ण इलाज। ।
भावार्थ - ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा का प्रमुख स्थान है।
अश्वगंध के चूर्ण से, मिटता रक्त विकार।
त्वचा रोग में यह करे, तत्वपूर्ण उपचार।।
भावार्थ - अश्वगंधा के चूर्ण का उपयोग करने से रक्त शुद्ध होता है, जिससे त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है।
शारीरिक कमजोरियाँ, करता है यह दूर।
खाँसी और बुखार में, उपयोगी भरपूर।।
भावार्थ - शारीरिक कमजोरियाँ को दूर करता है और खाँसी बुखार के समय यह अत्यन्त उपयोगी है।
चोट लगे या कट लगे, करे शीघ्र उपचार।
अश्वगंध सेवन करें, तन-मन हुआ निखार ।।
भावार्थ - घावों को ठीक करने में अश्वगंधा शीघ्र उपचार करता है और तन मन में निखार लाता है।
राजस्थान प्रदेश में, स्थान प्रमुख नागौर ।
मौसम की अनुकूलता, उत्पादन का दौर।।
भावार्थ - अश्वगंधा राजस्थान के नागौर स्थान में पाया जाता है। यहाँ इस पौधे के अनुकूल मौसम है और उत्पादन भी बहुत होता है।
नागौरी असगंध की, औषधि खास महत्व।
इसके चूरण तेल में, रोग निवारक तत्व।।
भावार्थ - सर्वश्रेष्ठ नागौरी अश्वगंधा को माना जाता है। इसका चूर्ण, तेल में रोग निवारक क्षमता छिपी हुई है।
रोज रात पीते रहें, जो तन से कमजोर ।
अश्वगंध लें दूध सँग, तन-मन उठे हिलोर।।
भावार्थ - जो लोग तन से कमजोर हों,उन्हें रोज रात को दूध के साथ अश्वगंधा पीना चाहिए। उनका तन मन सदैव स्वस्थ रहेगा।
तन-कमजोरी में करे, हर रोगों पर घात।
वीर्य वृद्धि पुरुषार्थ में, होता यह निष्णात।।
भावार्थ - शरीर की कमजोरी में वीर्य वृद्धि करके यह पुरुषार्थ के भाव को सम्पुष्टता प्रदान करता है।
अश्वगंध का चूर्ण यह, होता पूर्ण सफेद।
चर्म रोग नाशक रहे, कष्ट निवारक श्वेद।।
भावार्थ - अश्वगंधा का चूर्ण सफेद होता है। इसके सेवन से श्वेद चर्म रोग का नाश करता है।
जोड़ों में आराम दे, असगंधा का तेल ।
करिए मालिश नित्य ही, हो खुशियों का मेल।।
भावार्थ - शरीर के जोड़ों में असगंध के तेल से मालिश करने से जोड़ों को आराम मिलता है।
वात पित्त कफ दोष से,बने मुक्ति का योग ।
तन -मन हर्षित हो सदा, जो करता उपभोग।।
भावार्थ - अश्वगंधा का नित उपयोग करने से शरीर के वात पित्त कफ दोष को शांत करता है। उत्पन्न होने वाले रोगों को पनपने नहीं देता।
कैंसर जैसे रोग में, इसका है उपयोग।
शोध परक बूटी सुखद, हरण करे यह रोग।।
भावार्थ - कैंसर जैसे रोग में भी यह जड़ी बूटी सुखद परिणाम प्रदान करती है।
जिसको देखो है तृषित,डायबिटिक का रोग।
मददगार मधुमेह में, तन-रक्षा का योग।।
भावार्थ - मधुमेह की बीमारी बहुत बढ़ गई है, उसमें भी यह मददगार साबित हुई है।
नींद नहीं अवसाद में, टूटे सब उम्मींद।
चिंताओं से मुक्त कर, सुख की देता नींद।।
भावार्थ - अवसाद में नींद नहीं आती तब असगंध का उपयोग सभी चिंताओं से मुक्त करके सुख की नींद प्रदान करता है।
शुक्रधातु को कर प्रबल, पौरुष देता बल्य।
वात रोग का नाश कर, हटे पेट का मल्य।।
भावार्थ - शुक्रधातु को प्रबल कर के बलवान बनाता है, उदर के मल मूत्र की सफाई करके वात रोग को दूर करता है।
माँसपेशियाँ चुस्त कर, रक्त करे यह शुद्ध।
तन-मन को मजबूत कर, योगी ज्ञानी बुद्ध।।
भावार्थ - शरीर की माँसपेशियाँ को दुरुस्त कर रक्त को शुद्ध करता है। जिससे मानव योग और ज्ञान के मार्ग की ओर प्रशस्त होता है।
हृदय रोगियों के लिए, जीवन-मरण सवाल।
शुद्ध रक्त बहता रहे,औषधि करे कमाल।।
भावार्थ - रक्त शुद्ध करके यह हृदय को मजबूत करता है। हृदयाघात से सुरक्षा प्रदान करता है।
बालों का झड़ना रुके, बढ़ें प्रकृति अनुरूप।
ओजस्वी मुखड़ा दिखे, सबको लगे अनूप।।
भावार्थ - सिर के बालों का झड़ना रोकता है, और वृद्धि में सहायक होता है। जिससे मुखड़ा सुंदर बना रहता है।
यौन विकारों के लिए, इसमें अद्भुत शक्ति।
जीवन नव संचार कर, भर दे जीवन भक्ति।।
भावार्थ - यौन विकारों को दूर कर जीवन में उत्साह उमंग भरता है।
रोक थाइराइड सके, दुख का करे निदान।
अश्वगंध की यह दवा, परिचित हुआ जहान।।
भावार्थ - थाइराइड रोग में भी अश्वगंधा रोक लगाता है। उससे होने वाली परेशानियों से मुक्ति दिलाने का काम करता है।
महिलाओं के भी लिए , गर्भावस्था वक्त।
परामर्श सेवन करें, स्वस्थ निरोगी रक्त।।
भावार्थ - महिलाओं को गर्भावस्था वक्त वैद्य के परामर्श सेवन से लाभ मिलता है। रक्त शुद्ध कर निरोगी रखता है।
घटे मुटापा व्यक्ति का, जो खाता असगंध।
रोग भगाता है सभी, कर्मयोग अनुबंध।।
भावार्थ - शरीर में अनावश्यक बढ़ता मोटापा शरीर को रोगी बनाता है। इसके सेवन से शरीर का स्वस्थ संतुलन बना रहता है।
असगंधा दो ग्राम लें, लें आँवला समान।
एक मुलेठी पीसिए, आँखों का कल्यान।।
भावार्थ - असगंधा और आँवला दो दो ग्राम के साथ मुलेठी के उपयोग से आँखें स्वस्थ रहतीं हैं।
गिलोय, अश्वगंधा सँग,तुलसी त्रिफला नीम।
अभेद सुरक्षा का कवच, बने घनवटी बीम।।
भावार्थ - इम्यूनिटी के लिए गिलोय घनवटी रामबाण औषधि होती है। इसमें गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, त्रिफला एवं नीम का सम्मिश्रण होता है। यह अभेद सुरक्षा का कवच रोगों से दूर रखती है।
तन मन की रक्षा करे,च्यवनप्राश का योग।
अश्वगंध के मेल शुभ,रखता नित नीरोग।
भावार्थ - च्यवनप्राश में अश्वगंधा का भी सम्मिश्रण होता है। इसके नित्य सेवन से स्वस्थ निरोगी काया होती है।
द्राक्षासव में सम्मिलित, असगंधा का योग।
उदर रोग से मुक्ति दे, करें नित्य उपभोग।।
भावार्थ - द्राक्षासव में भी अश्वगंधा सम्मिलित होता है,इसके नित्य सेवन से उदर रोगों से मुक्ति मिलती है।
औषधि में मिलती घटक, शोधपूर्ण का मेल।
रोगों का यह कर शमन, दौड़े सुखमय रेल।।
भावार्थ - औषधि में अनेक घटकों का अनुपात पूर्ण मेल ही रोगों का शमन करता है, जिससे जीवन सुखमय गुजरता है।
जहरीले पौधे बहुत, पर होते गुण-खान।
जहर-जहर को काटता, सबको इसका भान।।
भावार्थ - लोकोक्ति में कहा जाता है कि जहर जहर को काटता है। जहरीले पौधों भी गुणों की खान कहलाते हैं।
परामर्श लें वैद्य से, तभी करें उपभोग।
मात्रा-मिश्रण हो सही, भागे तब ही रोग।।
भावार्थ - कोई भी जड़ी बूटी का उपयोग करते समय सही वैद्य से परामर्श करके ही सेवन करें। तभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
आसव चूरण तेल सब, मिले दवा बाजार।
सोच समझ उपयोग कर, तभी करें उपचार।।
भावार्थ - तेल, चूरण, काढ़ा, सभी प्रतिष्ठित कम्पनियों द्वारा बाजार में उपलब्ध हैं। डाक्टर से परामर्श लें, तब अपने रोगों का उपचार करें। खुद डाक्टर न बनें।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "