भारत ने सदियों हर युग में.....
भारत ने सदियों हर युग में,
मातृभूमि का मान रखा है।
देश प्रेम का फर्ज निभानें,
माँ के चरणों शीश झुका है।
वेद ऋचाओं में ऋषियों ने।
पृथ्वी को देवी माना है।
आदि सनातन काल से हमने।
हाथ जोड़कर मंत्र जपा है।
भारत ने सदियों हर युग में....
रामराज्य का सपना पाला।
ऊँच-नीच का भेद मिटा है ।
शबरी के मीठे बेरों का।
ईश्वर ने भी स्वाद चखा है।
भारत ने सदियों हर युग में....
हमने सदियों से हर युग में,
मातृभूमि का मान रखा है।
देश प्रेम का फर्ज निभाने,
माँ के चरणों शीश झुका है।
भारत ने सदियों हर युग में....
विषय वासना कभी न भायी,
नारी का यशगान किया है।
मानवता से हाथ मिला कर।
संस्कृति का सम्मान किया है।
भारत ने सदियों हर युग में....
कर्म भक्ति गीता से पायी,
घर-आँगन में वृक्ष लगा है।
फल की आशा स्वयं रही न,
बस पथिकों का ध्यान रखा है।
भारत ने सदियों हर युग में....
पूरब की संस्कृति ने जग में,
धर्म ज्ञान संदेश दिया है।
संकट छाने पर भी हमने,
हर मजहब का ध्यान रखा है।
भारत ने सदियों हर युग में....
मूर्ति बना भारत माता की ,
माँ का मंदिर सजा रखा है।
पूजा-अर्चन और वंदना,
बाल्यकाल से शीश झुका है।
भारत ने सदियों हर युग में....
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’