जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए.....
जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए,
भेदभाव को भुलाकर, कुछ काम होना चाहिए।
पी चुके हैं हम गरल को,मौन होकर सह चुके सब ,
छटपटाहट है उरों में, शांति के अमृत को अब।
बस प्रेम के अनुबंध का,अनुवाद होना चाहिए।
जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए ।।
विश्व के कल्याण की जब,ज्योत भी हमने जलाई ,
शांति और सद्भाव की, गूँज हमने ही गुँजाई।
धर्म के अब मंत्रों का, अनुनाद होना चाहिए।
जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए।।
सृष्टि के निर्माण में, बाधक नहीं है हम बने,
प्रेम श्रद्धा भाव से हम, साधक सदा ही हैं बने।
दीनता की भावना का, अवसाद होना चाहिए,
जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए ।।
हमने न चाहा है कभी, छीन ले उसकी जमीं को,
फिर गुलामी के शिकंजे, में कसें इंसानियत को।
सरहदों पर रिपु लड़े तब, प्रतिवाद होना चाहिए।
जिंदगी से जिंदगी का, संवाद होना चाहिए ।
जब जरूरत हो उठा लें,
हाथों में तलवारों को,
ध्यान बस इतना रहे कि,
अधर्म के सर्वनाश को।
कृष्ण सारथी हैं हमारे, आह्लाद होना चाहिए।
जिंदगी से जिंदगी का संवाद होना चाहिए।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’