नामुमकिन को मुमकिन करना.....
नामुमकिन को मुमकिन करना,
वर्तमान की चाहत है।
सार्थक यत्न करें सब मिलकर,
यही देश की ताकत है।।
परिवर्तन ही राह बनाता,
नई दिशाएँ दिखलाता।
उन्नति के सब द्वार खोलकर,
करें परिश्रम सिखलाता।।
रोक न पाए रूढ़िवादिता,
आज बदलनी आदत है।
है नादानी समय गँवाना,
मोल अगर जो समझोगे,
तब दुनिया के संग बढो़गे,
नहीं व्यर्थ ही उलझोगे।।
मानवता की रक्षा करना,
जग की सही हिफाजत है।
नवयुग नित परिवर्तित होता,
सदी पुरानी बीत चुकी।
विस्तृत विमल विचारों वाली
प्रथा पुरानी रीत चुकी।।
नूतन और पुरातन के सँग,
सदा सँवरता भारत है।
देशभक्ति जिसमें न उमड़े,
उस कपूत पर है लानत।
आँख गड़ाए बैठा रिपुदल,
जब चाहे आती आफत।।
त्याग तपस्या कुर्बानी से,
रहता देश सलामत है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’