श्रीनगर के लाल चौक पर.....
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
आजादी की जली मशालें,
बड़ी शान से लहराया।।
जान हथेली रख कितनों ने,
फहराने की कोशिश की,
कालनेमि के षड़यंत्रों ने ,
पग-पग रोड़ा अटकाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
घाटी में आतंकी बसते,
जिसे स्वर्ग हम कहते हैं,
खून खराबा दहशतगर्दी,
कर वर्षों से उलझाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
साँप पले थे आस्तीनों में
पत्थर फेंके जाते थे,
देश के रक्षक घायल होते
माँ के दिल को दुखलाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
बिके हैं शत्रु के हाथों में
दो कौड़ी के नेता गण,
जब चाहे वे चरण चाटते,
नहीं देश को है भाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
मुँह काला हो गया उन्हीं का
सपने चकनाचूर हुए,
भारत की शक्ति के आगे,
अरि की अकड़ को झुठलाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
तीन सौ सत्तर हटा देश से,
एक राष्ट्र स्वीकार हुआ,
समाधान हो गया देश का,
भारत ने है नाम कमाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
हर विकास की गंगा को,
लेकर भागीरथ आए हैं।
होगा नव निर्माण देश में,
स्वर्ग-गगन है हर्षाया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
काश्मीर मस्तक भारत का,
आँच कभी ना आएगी।
सीमा पर हैं खड़े बाँकुरे,
दुश्मन भी अब घबराया।
श्रीनगर के लाल चौक पर,
आज तिरंगा मुस्कराया।
आजादी की जली मशालें,
बड़ी शान से लहराया।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’