आज शहीदों के प्रति,कृतघ्न हुये.....
आज शहीदों के प्रति, हैं कृतघ्न कुछ लोग।
कुछ पुरखों के नाम पर, खाते छप्पन भोग।।
स्वतंत्रता संग्राम का, लिखा अमर इतिहास।
जिनकी पुस्तक से थमी, अंग्रेजों की साँस।।
आजादी पर दे गये, गीता जैसा ज्ञान।
पढ़कर दीवाने बने, माँ के पूत महान।।
काले पानी की सजा, कष्टों का अम्बार।
झुका नहीं पायी उन्हें, अंग्रेजी सरकार ।।
शंखनाद उनने किया, ठौंकी थी जब ताल।
ब्रिटिश हुकूमत के लिये, बनकर आया काल।।
सावरकर कुरबान थे, हिन्दुस्ताँ के नाम ।
अंग्रेजों को कह दिया, क्यों हम रहें गुलाम।।
उस शहीद के नाम पर, कैसा अत्याचार।
राजनीति होने लगी, दुश्मनवत् व्यवहार।।
देश भक्त आधा बता, निम्न कोटि की सोच।
गंजे अपने बाल को, स्वयं रहे हैं नोंच।।
राष्ट्रभक्त जब हैं लड़े, देश हुआ आजाद।
उनकी कुरबानी हुयीं, तब हम हैं आबाद।।
रानी लक्ष्मी बाई जी, चँद्रशेखर आजाद।
सुभाष, वीर सावरकर, विस्मिल राम प्रसाद।।
गांधी नेहरु लाजपत, रास बिहारी घोष।
भगत सिंह अरविन्द जी, थे खुदीराम बोस।।
तिलक, अशफाक, गोखले, सँग पटैल सरदार।
श्याम-कृष्ण बन्धू रहे, ऊधम सिंह करतार।।
टंडन, मदनमोहन जी, बटुकेश्वर यशपाल।
राजगुरू सुखदेव जी, थे भारत के लाल।।
नरम-गरम दल ने किया, मिलकर के सहयोग।
दोनों से भयभीत हो, तभी बना था योग।।
देश भक्त को बाँटने, बुरा लगा है रोग।
दल-दल में अब धँस गये, राजनीति के लोग।।
अंग्रेजों से मुक्ति का, सबने किया प्रयास।
कंधे से कंधा मिला, बिखरा तभी उजास।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’