बदलते समीकरण
मधु मक्खियों को छेड़ना
किसी समय
मौत को दावत देना
कहा जाता था ,
और शहद पाने के लिये
तो उन्हें आग की
लपटों में भी
झुलसाया जाता था ।
किन्तु अब तो
शहद के लिये लोग
मधुमक्खियों को भी
पालने लगे हैं,
और उसे भी
एक विकसित
उद्योग की तरह
मानने लगे हैं ।
लगता है,
बदलते परिवेश में
दोंनो चालाकी और
समझदारी से काम ले रहे हैं
और आपस में समझोतों की
नई - नई पृष्ठभूमियाँ
तलाश रहे हैं ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’