बरसों पहले जब रहा.....
बरसों पहले जब रहा, भारत देश गुलाम ।
संस्कृति अपनी सभ्यता, लगती थी गुमनाम।।
रामकृष्ण गुरुश्रेष्ठ ने, दिया देश को लाल ।
धर्म सभा में भेज कर, सबको किया निहाल ।।
तीस वर्ष की उम्र में, घोषित ज्ञानानंद ।
अमरीका में छा गये, संत विवेकानंद ।।
अल्प आयु के संत को, देख सभी हैरान ।
बता शिकागो में दिया, गूढ़ धर्म का ज्ञान ।।
सदियों से भारत रहा, विविध पंथ का देश ।
सबको सँग लेकर चला, कभी रहा ना क्लेश ।।
राम,कृष्ण, गौतम यहाँ, गुरुनानक, महावीर ।
भारत धरती धन्य है, जहाँ अनेकों वीर ।।
अवतारों की भूमि यह,ऋषियों का यश गान ।
आपस में मिलकर यहाँ, गाते मंगल गान ।।
संस्कृति मूल्यों का धनी,संस्कारों का देश ।
कण-कण में अध्यात्म है, ऐसा है परिवेश ।।
विश्व शांति का पक्ष धर,मानवता की खान ।
सदियों से ही गूँजती, भारत की पहिचान ।।
वेद और उपनिषद् में, जीवन के उपदेश ।
योग,ज्ञान,विज्ञान में, पारंगत यह देश ।।
विपुल ज्ञान बिखरा पड़ा, ऐसा भारत देश।
गौरव गाथा को सुना, दिया नेक संदेश।।
श्री लंका, जापान ने, अपनाया परिवेश।
कई देश को भा गया, भारत का संदेश।।
सत्य सनातन धर्म का, दिया विश्व को ज्ञान ।
कई देश करने लगे, भारत का जय गान ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’