धरती है बँगाल की.....(बंकिम चन्द्र चटर्जी)
धरती है बँगाल की, महापुरुष के नाम ।
राष्ट्रभक्ति में अग्रणी, जग जाहिर हैं काम।।
बंकिम चन्दर चटर्जी, रवीन्द्र नाथ टैगोर।
विपिनचन्द्र,दयानँदजी, शरदचन्द्र सिरमोर।।
रविन्द्रनाथ टैगोर के, गुरुवर बंकिमचन्द्र।
दुर्गेशनँदनी कृति के, नभ-मंडल के चन्द्र।।
शिष्य विवेकानंद को, रही ज्ञान की प्यास।
रामकृष्ण गुरुश्रेष्ठ ने, भेजा उनके पास।।
अट्ठारह अड़तीस में, धनी विप्र परिवार।
माता दुर्गा देवि थीं, उनकी पालनहार।।
कंथलपारा गाँव में, जादब चन्द्र महान।
उनके घर पैदा हुयी,यह अद्भुत संतान।।
पाकर दोनों खुश हुये, ईश्वर का वरदान।
पढ़ा लिखा पाला उन्हें, बना दिया विद्वान।।
भारतदर्शन को पढ़ा, नीति शास्त्र का ज्ञान।
वेद और उपनिषद् का, स्वाध्याय संज्ञान।।
पत्रकार के रूप में, हुये बड़े विख्यात ।
अंग्रेजी सरकार को, दिखला दी औकात।।
कपालकुँडल मृणालिनि, लेखन का संसार।
देवतत्व व धर्मतत्व, कृतियों का भंडार।।
उपन्यास व काव्य ने, उनको किया प्रसिद्ध।
कई विधाओं में लिखा, कलमकार थे सिद्ध।।
अंगे्रजों के काल में, जनता रही उदास।
शोषण के उस दौर में, जुल्मों का इतिहास।।
कृति महान आनंद मठ, चर्चित देश विदेश।
बंकिम बाबू ने दिया, क्रांति भरा संदेश।।
वंदेमातरम् गीत तब, गूँजा बन जयगान।
आजादी के बाद भी, आज हमारी शान।।
पूरे जग में छा गया, उनका गीत महान।
आज अमर वे हो गये, सब करते गुणगान।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’