हे आतंकवादी
हे आतंकवादी
आपकी महिमा अपार है ,
विश्व के हर कोनें में
आपका अधिकार है ।
भारत में तो आपको
अपना भविष्य
बड़ा उज्ज्वल नजर आया,
तभी तो स्वर्ग समान
कश्मीर पर ही
आपका मन भरमाया ।
अक्षर धाम से लेकर
संसद भवन और
होटल ताज का प्रवास तो
आपकी ख्याति में
चार –चाँद लगा गया है।
आपकी आने वाली पीढ़ी को
नया रास्ता सुझा गया है।
हजरत बल की दरगाह में तो
आपने गजब कर दिखाया था,
जब सरकार ने ही आपको
बिरयानी चिकिन
और कवाब खिलाया था ।
मुंबई बम कांड,रूबियाकांड,
कंधार विमान हाई जैक
और अजमल कसाब जैसे
न जाने कितनों ने
हिन्दुस्तान की जमीं में
काले अध्याय
लिख डाले हैं ।
मेरे प्यारे देश को
न जाने कितनी बार
खून के घूँट
पिला डाले हैं ।
इसलिए
हे आतंकवादी
आपकी महिमा अपार है ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’