हे माँ वीणा वादिनी.....
हे माँ वीणा वादिनी, शत् शत् तुझे प्रणाम ।
हम तेरे सब भक्त हैं, जपते तेरा नाम ।।
शांत सौम्य आभा लिए, मुख में है मुस्कान ।
गूँज रही जयगान की, चर्तु दिशा में तान ।।
शुभ्र वसन धारण करें, आभा मंडल तेज ।
चरणों में जो झुक गये, पाते सुख की सेज ।।
मणियों की माला गले, दमकाती परिवेश ।
आराधक जो बन गये, मिटते मद औ द्वेष ।।
मधुर - मधुर वीणा बजे, पुलकित होते प्राण ।
अमृत के रस पान से, हो जाता कल्याण ।।
ग्रंथ हाथ धारण किये, विपुल असीमित ज्ञान ।
जो सानिध्य में आ गये, जीवन भर मुस्कान ।।
जीवन में भटका सदा, कहीं मिली ना ठाँव ।
तेरे दर पर ही मिली, सबको शीतल छाँव ।।
हंस वाहिनी हंस वत, सबको दो तुम ज्ञान ।
अंतर मन का तम हरो, दूर भगे अभिमान ।।
भक्ति औ वैराग्य का, सबको दो वरदान ।
मात वंदना मैं करूँ, सच में हम नादान ।।
अभिलाषा न स्वार्थ की, काम करें निष्काम ।
मानव की सेवा करें, हम सबका है काम ।।
कलम सिपाही मैं बनूँ , करूँ सृजन के काम ।
कृपा रहे सब पर सदा, हम सब करें प्रणाम ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’