हिन्दी हिन्दुस्तान के.....
हिन्दी हिन्दुस्तान के, दिल पर करती राज।
आजादी के वक्त भी, यही रही सरताज।।
संस्कारों में है पली, इसकी हर मुस्कान।
संस्कृति की रक्षक यही, भारत की पहचान।।
वैज्ञानिक लिपि है यही, कहता है संसार।
स्वर शब्दों औ व्यंजनों, का अनुपम भंडार।।
लिपि इसकी है नागरी, है पावन गठजोड़।
स्वर शब्दों की तालिका, में सबसे बेजोड़।।
संस्कृत की यह लाड़ली, हर घर में सत्कार।
उसकी पूजा कर रहे , हम सब रचनाकार ।।
भावों की अभिव्यक्ति में, है यह चतुर सुजान।
जग करता हैं वंदना, हिन्दी आज महान।।
तुलसी सबको दे गये, मानस का उपहार।
सूरदास रसखान ने, किया बड़ा उपकार ।।
जगनिक ने आल्हा रची, वीरों का यशगान।
मीरा संत कबीर ने, गाये प्रभु गुण गान।।
मलिक मोहम्मद जायसी, रहिमन औ हरिदास।
पद्माकर विद्यापती, भूषण केशवदास।।
चंदवरदाइ पंत जी, बने निराला नूर।
प्रेमचँद भारतेन्दु जी, कृतियाँ हैं भरपूर।।
दिनकर मैथिलिशरण जी, सुभद्रा माखन लाल।
गुरूनानक रैदास जी, इनने किया धमाल।।
जयशंकर नागारजुन, कौशिक अमरतलाल।
देवकी नंदन खत्री, चतुर सुमन यशपाल।।
सेनापति, बिहारी जी,बना गये इतिहास।
हिन्दी का दीपक जला, बिखरा गये उजास।।
महावीर महादेवी, हिन्दी युग अवतार।
कितने साधक हैं रहे, गिनती नहीं अपार ।।
अटल बिहारी ने किया, हिन्दी का यशगान।
उनके पद चिन्हों चले, नेता सीना तान।।
हिन्दी का चंदन लगा, मोदी उड़े विदेश।
सुनने को आतुर रहा, विश्व जगत परिवेश।।
विश्व क्षितिज में छा गयी, हिन्दी फिर से आज।
जनता ने पहना दिया, उसके सिर पर ताज।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’