हिन्दू संस्कृति में बसा.....
हिन्दू संस्कृति में बसा, रहन सहन अनमोल।
वेद ऋचाओं में लिखे, मानव हित के बोल।।
दीर्घ आयु जीवन जियें, खान पान सम्मान।
दिन चर्या ऐसी रहे, जग में बनें महान।।
आडंबर पाखंड का, जमकर करें विरोध।
मानवता का पक्ष ले, दूर करें अवरोध।।
दौर विसंगतियों भरा, स्वार्थभाव है आज।
नैतिक मूल्यों को जगा, बदलें सकल समाज।।
कविता का जो धर्म है, उसे समझिये आप।
मानव का तम ताप हर, दूर करें संताप।।
कवि का फर्ज निभाइये, कविता कवि का धर्म।
भटके राही को दिखा, उचित राह सत्कर्म।।
हर कवि का दायित्व है, पहले समझें अर्थ।
कविता मत बदनाम हो, कभी न लिखें अनर्थ।।
फूहड़ता चुटकुलों से, क्षण भर का आनन्द।
जीवन में संदेश हो, दूर हटें छल छन्द।।
कविता मानव की सखा, समझें उसका मर्म।
कलम सिपाही बन लिखें, हर लेखक का धर्म।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’