जनता खुश होती अगर.....
जनता खुश होती अगर, तो देती सम्मान।
अगर कभी जब रूठती, धूल चटाती शान।।
सत्ता का तखता पलट, दिया एक संदेश।
समय पुराना लद गया, अब बदला है देश।।
भ्रष्ट आचरण देश का, सबसे बड़ा गुनाह।
कड़ा दंड इनको मिले, कहीं न मिले पनाह।।
शुद्ध आचरण हो अगर, बदलेगा परिवेश।
घर समाज औ देश से, तभी हटेंगे क्लेश।।
दूरदृष्टि लोकार्पण, गुणवत्ता की चाह।
कार्य सफल होते तभी, चहुँ दिश होती वाह।।
नैतिकता की धूप से, नींव करें मजबूत।
संस्कारों की राह से, भागेंगे सब भूत।।
सबके चेहरे खिल उठंे, हटेें सभी संताप।
देश प्रगति की राह में, दौड़ पड़ेगा आप।।
भागीरथ की साधना, व्यर्थ न जाये आज।
गंगा निर्मल ही बहे, तभी बनेंगे काज।।
जब होगा हर तंत्र से, भ्रष्ट मुक्त परिवेश ।
बन जायेगा तब सही, भारत स्वर्णिम देश।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’