जीवन के हर मोड़ पर.....
जीवन के हर मोड़ पर, कभी न होगी शाम ।
मंजिल पाने के लिये, चले चलो़ अविराम ।।
जीवन में जब दुखों का, लग जाये अंबार ।
निर्धन कुटिया-झाँकना, कम होंगे भंडार ।।
मन के रोगी बहुत हैं, तन के कम हैं रोग ।
मन को ही यदि साध लें, दुखी न होंगे लोग।।
शर्मिन्दा होना पड़े, ऐसा करें न काम ।
मन को निर्मल ही रखें, सदा बढ़े अविराम ।।
हर कोई ढोंगी नहीं, करें न सब प्रतिघात ।
मन विश्वास जगाइए, तभी कटेगी रात ।।
लोग न चाहें आपको, मिलने से हों दूर।
झाँकें,मन देखें कमी, हो मुखड़े पर नूर ।।
मन चंचल होता बहुत, पाखी सा उड़ दूर ।
वश में जिसने कर लिया, हँसता वही हुजूर।।
सदा बड़ों को चाहिए, छोटों को दें प्यार ।
छोटों को भी चाहिए, सदा करें मनुहार ।।
अज्ञानी सिर पीटता, हो जाता लाचार ।
ज्ञानी अपने ज्ञान से, लाता नये विचार ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’