जीना जो चाहते हैं.....
जीना जो चाहते हैं,
मत उन्हें छलो ।
राहों में काँटों की,
डाल मत धरो ।।
आशा विश्वासों की,
डोर में बॅंधो ।
दुखियारी आँखों की,
कोर में बसो ।।
प्रेम को तुम महकाओ,
गंध की तरह ।
जीवन में मुस्कराओ,
फूल की तरह ।।
भागे यह अॅंधियारा,
दीप सा जलो ।
काँटों संग रहकर भी,
फूल - सा हॅंसो ।।
दे सको यदि छाया,
तो तान दो वजूद ।
भूखे पथिक का,
पाथेय तुम धरो ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’