जोड़े रचकर ईश ने.....
जोड़े रचकर ईश ने, जग में किया कमाल।
नर-मादा का सृजन कर, अद्भुत किया धमाल।।
सृष्टि सृजन परिकल्पना, जन्म मरण के साथ।
हर प्राणी को दे दिया, इक दूजे का हाथ।।
जल थल नभ पाताल में, जितने भी हैं जीव।
नर-मादा की युक्ति से, बनती जीवन नींव।।
दोनों के ही हृदय में, भरा प्रेम का रोग।
वृद्धि करें संतान की, जीवन का सुख भोग।।
मानव को है दे दिया, हरा भरा संसार।
सद्विवेक सद्बु़िद्ध का, विपुल ज्ञान भंडार।।
प्रकृति धरा आकाश सँंग,सरिता गिरि तालाब।
संरक्षित जितना करें, हो जीना नायाब।।
प्रकृति सुरक्षित कीजिये, पहना दें मणिहार।
नेह प्यार विस्तार से, यह दुनियाँ गुलजार।।
यह रहस्य जो जानतेे, सुख का है भंडार।
किलकारी से गूँजता, घर आँगन औ द्वार।।
जोड़े सब मिलकर करें, नवल सृष्टि शृंगार।
कोई रोगी मत रहे, स्वस्थ रहे संसार।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’