कैसी है यह राजनीति.....
कैसी है यह राजनीति ,
कुछ समझ नहीं है आती ।
अस्तित्व राम के होने पर ,
यह उँगली आज उठाती ।
राम राज्य का वादा करके,
सिंहासन पा जाती ।
सत्ता मिलते ही अपना ये,
गिरगिट रूप दिखाती ।
राजघाट में जो सोये हैं ,
राष्ट्र पिता वे गांधी ।
चिर निद्रा में लीन हुये तब ,
राम ही निकली वाणी ।
जीवन सबका क्षण भंगुर है,
कल की कोई न जाने ?
राम अमर हैं अब भी जग में,
बौना मन क्या जाने ?
कितने आये बिदा हो गये ,
राम नहीं पर बन पाये ।
सेतु समुद्रम जैसा दुर्गम ,
काम नहीं वे कर पाये ।
उत्तर से दक्षिण को जोड़ा ,
पूरब से पश्चिम को ।
ऊॅंच-नीच का भेद मिटाकर ,
जोड़ा सबके मन को ।
भारत की पावन धरती में,
युगों से गूँज रही गाथा ।
आदर्शों मर्यादाओं में,
झुका हुआ सबका माथा ।
राम बन गए विश्व धरोहर ,
माथे का चन्दन बनकर ।
राम राष्ट्र का गौरव वंदन ,
और विश्व का जन गण मन।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’