कृपा करो माँ शारदे.....
कृपा करो माँ शारदे, भरा रहे भंडार ।
ज्ञानी बन कर जी सकूँ, हट जायें अँधियार ।।
सबका हित करता रहूॅँ, ऐसा दो वरदान ।
जीवन को हर पल मिले, खुशियों का उजियार ।।
करता हूँ मैं प्रार्थना, अहंकार से दूर ।
विषयादिक मद-मोह से, कभी न हो मन चूर ।।
कृपा दृष्टि ऐसी मिले, काम करूँ भरपूर ।
मानवीय कर्तव्य से,कभी रहूॅँ न दूर ।।
अपनापन निश्छल रहे, हृदय धीर गंभीर ।
करूणा ममता वृष्टि को, मन हो सदा अधीर ।।
बैर भावना क्रोध से, विरहित चित्त शरीर ।
ऐसा जीवन दीजिए, हरूँं सभी की पीर ।।
विनय भाव से जी सकूँ, शांति रहे घर-द्वार ।
प्रेम प्यार से सब रहें, महके पर उपकार ।।
हँसी खुशी के दौर हों, जीवन हो गुलजार ।
यही प्रार्थना कर रहा, तुमसे बारम्बार ।।
तुम ममता की छाँव हो, मैं चरणों की धूल ।
दया दृष्टि हम पर रहे, नहीं चुभेंगे शूल ।।
मैं अज्ञानी हूॅँ सदा, हो सकती है भूल ।
चरणों में हे शारदे, सद्भावों के फूल ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’