माँ देवी का रूप है.....
माँ देवी का रूप है, जग की पालन हार ।
बनी रहे उसकी कृपा, मंजिल चढ़ें अपार ।।
हर माँ को बेटा लगे, घर का राजकुमार।
इस ममता की डोर से, मिलता उसे दुलार ।।
माँ ही बेटा पालती, समझ जिगर का लाल ।
बदले में कब चाहती, मन में नहीं मलाल ।।
पालन कर्ता है वही, माँ ही तारन हार।
भटकों को भी राह में, ले आती है द्वार।।
माँ बेटे को चाहती, देती सदा प्रकाश ।
बेटा माँ को भूलकर, उड़ जाता आकाश ।।
माँ है मंगल कारणी, सदा रहे अनुकूल ।
नव जीवन की दायनी, कभी नहीं प्रतिकूल ।।
उसके ही आशीष से, मिलता सही मुकाम ।
उसकी किरपा से मिले, खुशियों के पैगाम ।।
वह दुर्गा के रूप में, जग की तारन हार।
ईश्वर उसकी कोख से, जन्मा है हर बार।।
कोई भी माँ से बड़ा, जग में नहीं महान।
हम सब उसको मान दें, तभी बढ़ेगी शान।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’