माँ की ममता है बड़ी.....
माँ की ममता है बड़ी, जिसका ओर न छोर।
नव जीवन देकर यही, दिखलाती है भोर।।
संस्कार की वह घुटी, रोज पिलाती घोंट।
मानव बनकर ही रहे, कहीं न आये खोट।।
बचपन में देती रही, भले बुरे का ज्ञान ।
मन में जिसने गुन लिया, दूर हटा अज्ञान।।
बेटा कितना भी बड़ा, नजरों में नादान।
माँ तो नजर उतारती, वह चाहे कल्यान।।
ममता करुणा प्रेम की, शीतल भरी फुहार।
जीवन भर देती सदा, कुशल क्षेम उपहार।।
उसके आर्शीवाद से, बनते जग में भूप।
प्यार मिले माँ का जिसे, कभी चुभे ना धूप।।
किस्मत के होते धनी, जिसको मिलती छाँव।
कभी भटकते हैं नहीं, मिल जाती है ठाँव।।
उसका सँग जब तक रहा, सुख का था अंबार।
उसके जाते ही लगा, सूना सा घर द्वार।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’