मंदिर मस्जिद सज रहे.....
मंदिर मस्जिद सज रहे, मौन हुआ भगवान।
धर्मों में ही खो गया, मेरा हिन्दुस्तान ।।
त्यौहारों की भीड़ में, सजा हुआ बाजार ।
ढोल ढमाके बज रहे, भोंपू लगे हजार ।।
गली-गली गाने बजें, फूहड़ता के संग ।
सुबह शाम चर्चित रहें, मस्ती के हर रंग ।।
शक्ति प्रदर्शन कर रहे, सभी आपके भक्त ।
धर्म ध्वजा थामे खड़े, बहा रहे हैं रक्त ।।
कलयुग के ये भक्त है, पहुँचाते आघात।
दुर्जन सारे मिल गए, सज्जन को दें मात ।।
उत्सव तेरे नाम का, मना रहे हर साल ।
चंदा करके भक्तगण, होतेे माला माल ।।
मानवता पर चोटकर, करें शांति को भंग ।
सुरा-सुंदरी साथ में, जीवन है बेढंग।।
भक्तों के दरबार में, ईश्वर बैठा मौन ।
समझदार चुपचाप हैं, निपटेगा अब कौन ।।
मंदिर मस्जिद से कभी, निकल पड़ो हे नाथ।
ज्ञान बुद्धि कुछ दीजिए, इनको दीनानाथ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’