मोबाइल पर आज है.....
मोबाइल पर आज है, हर मानव को नाज।
जग की सारी दूरियाँ, इसमें सिमटी आज।।
अपने सब प्रियजनों को, पल में दे संदेश।
कठिन काम क्षण में करे, इससे सब हैं लैस।।
वार्ता व संदेश से, ऊब उठे जब मन।
मोबाइल में देखकर, खुश हो जाये तन।।
सबके पाकिट में रखा, यह बिरला उपहार।
हर संकट में है खड़ा, सबका बनकर यार।।
बाल वृद्ध नर नारियों, का रक्षक यह आज।
अपराधी का काल बन, उगलाता है राज।।
टाईप करता बोल सुन, फोटो रखे सहेज।
पुस्तक हो या फिल्म हो, इसको नहीं गुरेज।।
जुड़ता इंटरनेट से, करता बहुत कमाल।
गूगल हो या फेसबुक, नगदी बटुआ माल।।
छिपी अनोखी खूबियाँ, मन चाहा व्यापार।
ज्ञान और विज्ञान का, है अनुपम भंडार।।
गीत और संगीत से, करता गजब धमाल।
टीवी बनकर जब चले, बीते सफर कमाल।।
सामाजिक संबंध से, लैस हुआ है आज।
जन-सत्ता का सेतु बन, बना हुआ सरताज।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’