नारी तेरी अजब कहानी.....
नारी तेरी अजब कहानी,
आँचल से तो दूध पिलाती,
पर आँखों से बहता पानी।
नारी तेरी अजब कहानी.....
बचपन में तो उछल कूदती,
घर आँगन में दौड़ लगाती।
देहरी के बाहर जाते ही-
अविरल आँसू रोज बहाती।
नारी तेरी अजब कहानी.....
अगनी में जब चाहे जलती,
तेजाबों से रोज नहाती।
सदियों से तू भोग रही है,
प्रतिक्षण हिंसक नई कहानी।
नारी तेरी अजब कहानी......
अग्नि परीक्षा देते देते,
सदियाँ बीत गयी हैं तुझको।
अंगारों पर फिर भी चलती,
अपने मुख से उफ् न करती।
नारी तेरी अजब कहानी...
हर समाज है शोषण करता,
अधिकारों से वंचित रखता।
कर्तव्यों का पाठ बताकर,
तोते सा पिंजड़े में रखता।
नारी तेरी अजब कहानी.....
धर्म के आगे तू हलाल है,
मानवता भी शर्मसार है।
आजादी अभिव्यक्ति नाम पर,
अब भी बुर्कों में जकड़ी है।
नारी तेरी अजब कहानी...
कुछ बोला तो तीन शब्द में,
जब चाहे बनवास घड़ी है।
परिवर्तन की हर आँधी से
कब से कोसों दूर खड़ी है।
नारी तेरी अजब कहानी...
चीर हरण अब भी होते हैं,
भीष्म द्रोण दुबके बैठे हैं।
भोग्या बनकर भोग रही है,
आदम युग से वही कहानी।
नारी तेरी अजब कहानी....
आँचल से तो दूध पिलाती,
पर आँखों से बहता पानी।
नारी तेरी अजब कहानी.....
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’