नई सड़क थिगड़े लगें.....
नई सड़क थिगड़े लगें, तोड़ - फोड़ के काम ।
कागज में सब हो रहे, जन सेवा के काम ।।
ठेके पर देने लगे, अपने सारे काम ।
टेंडर अब खुलने लगे, नेताओं के नाम ।।
जमा हो रहा शहर से, आधा अब तक टैक्स ।
शेष सभी को छूट है, उन्हें करें न फैक्स ।।
जो कर भरते जा रहे, उनको रहे निचोर ।
आय बढ़ाने के लिये, टैक्स लगावें और ।।
टैक्स समय पर न दिया, तो कुड़की की धौंस ।
कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहाँ न चलती धौंस ।।
फ्री में पानी लुट रहा, पाईपों में कर होल ।
नाली - सड़कों में बहे, कहते जल अनमोल ।।
नल का टैक्स बढ़ा रहे, अधिक खर्च बतलाँय ।
बॅूंद - बॅूंद पानी बचत, घर मीटर लगवाँय ।।
विद्युत मंडल लास में, राज - परिवहन हप्प ।
यही हाल इनका रहा, नगर निगम भी गप्प ।।
तंत्र सरकारी फेल हैं, बिगड़ रहे सब काज ।
उन पर अंकुश ना रहा, हुये निरंकुश आज ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’