नारी ने पैदा किए.....
नारी ने पैदा किए, जग में देव महान।
उसकी छाया में पले, राम कृष्ण भगवान।।
आदि शक्ति दुर्गा बनी, जग की तारण हार।
जिसके तेज प्रताप से, संकट मिटे हजार।।
संस्कारों की गंध को, फैलाती चहुँ ओर।
उसके इसी प्रयास से, घर-घर होती भोर।।
नारी कोपल फूल सी, पुरुष वृक्ष की छाँह ।
जिसकी छाया में सजी,घर आँगन की बाँह।।
मध्यकाल अबला रही, ढाए जुल्म अनेक।
दासी बनकर रह गई, नियत नहीं थी नेक।।
सुरा सुंदरी चाह से, कोठे हैं आबाद।
नारी महिमा को भुला, किया उसे बरबाद।।
नारी नर की खान है, खान-पान सम्मान।
जिसके आगे हैं झुके, हर युग के भगवान।।
नारी को अबला समझ, नहीं करें अब भूल।
उस अबला की राह में, बिछे हुए हैं फूल।।
अबला अब सबला हुई, दौड़ रही चहुँ ओर।
पीछे सबको छोड़कर, नाप रही नभ छोर।।
घर आँगन खुशहाल हो, होगा मंगल गान।
नारी को सम्मान कर, देवी सा दें मान।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’