नैतिक शिक्षा के बिना.....
नैतिक शिक्षा के बिना, हर शिक्षा बेकार।
उसके दम पर ही बढ़े, यह सुन्दर संसार।।
शिक्षा है संजीवनी, जड़मति करे सुजान।
तन मन को चेतन करे, यह अमरित-रसपान।।
तिमिर हरे वह देश का, भरती है उल्लास।
अंधकार को चीर कर, शिक्षा भरे उजास।।
ज्ञान और विज्ञान का, उसमें है भंडार।
जिसने अमरित पी लिया, उसका बेड़ा पार।।
संचय करती देश में, गुणी जनों की खान।
शिक्षा के अवदान से, सब होते धनवान।।
शिक्षा में परमार्थ का, प्रमुख रहे स्थान।
दोनों के संयोग से,जग में बढ़ती शान।।
नैतिकता का पाठ जब, पढ़ता है संसार।
मानवता की प्रगति का,है यह मूलाधार।।
नैतिकता पारसमणी, दूर हटें अवरोह ।
मन के दुर्गुण दूर हों, तनिक न छाए मोह।।
वर्तमान शिक्षा बनी, स्वार्थपूर्ण है आज।
परमारथ के भाव से, वंचित हुआ समाज।।
भड़भूँजों के हाथ में, सौंपी शिक्षा नेक।
सारे दाने जल गए, साबुत बचे न एक।।
नैतिकता वह बीज है, सफल रहें परिणाम।
परहित का भी ध्यान रख, चहुँ दिश सुख आराम।।
नवल सृजन रथ दौड़ता, कंटक होते दूर।
प्रगति द्वार खुलते सभी, जग के बनतेे नूर।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’