नेता जी का भ्रष्ट्राचार
सत्ता में रहकर
नेता सुखराम ने
ढेरों सुखों के अम्बार
जुटा लिए थे ।
और अपनी
सात पुश्तों के लिए
तहखानों में
खजाने भरवा लिए थे ।
पकड़े जाने पर भी
उन पर कोई फर्क
नहीं पड़ा था ।
कोर्ट में दोषी हैं या निर्दोषी ,
पूरे पन्द्रह साल तक
रिसर्च चला था।
वे इस व्यवस्था से
भली- भाँति परिचित थे,
इसीलिये तो भ्रष्टाचार में
पूर्णरूप से संलिप्त थे
जब छियासी वर्षीय नेता को
पाँच साल कैद की
सजा सुनाई ,
तो उनके चेहरे पर
मुस्कान थिरक आई ।
कारण पूछने पर, बोले -
इस फैसले से
मैं संतुष्ट हूँ
और अपने भविष्य के प्रति
पूर्ण रूप से आस्वस्त हूँ ।
अब मेरे स्वास्थ्य की चिंता
मेरे परिवार को नहीं सरकार को करना पड़ेगी ।
और जरूरत पड़ने पर
सुरक्षा भी देनी पड़ेगी ।
उनकी इस सजा पर
एक ओर
हमारे देश के समाचार-पत्र
‘‘देर है, पर अंधेर नहीं’’
के कालम सजा रहे थे ।
तो दूसरी ओर
टी - वी मीडिया वाले भी
‘सत्यमेव जयते का नारा’
गुनगुना रहे थे।
वहीं हमारे नेता जी मुस्करा रहे थे ।
और अपना विजय पर्व
मना रहे थे ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’