पाक नाम धर कर कभी.....
पाक नाम धर कर कभी, कौन बना है नेक।
जिन्ना जैसे जिन बने, अब तो हुये अनेक।।
शिक्षा भी इनकी नहीं, बदल सकी तकदीर।
बचपन से ही गढ़ रहे, नामुराद तस्वीर।।
कट्टरता इतनी भरी, जैसे पी लीे भंग।
इस्लामिक हर देश में, छिड़ी हुयी है जंग।।
इन्सानों की भीड़ में, घुसेे हुये शैतान।
है वैज्ञानिक युग अभी, फिर भी ये हैवान।।
आतंकों की फैक्ट्रियाँ, खोल रखी हैं आज।
सारा जग हैरान है, भटका है अंदाज।।
प्रभु की सही उपासना, सत्कर्मों का ज्ञान।
प्रेम दया करुणा जहाँ, वहीं बसें भगवान।।
पहले हम इंसान हैं, इसका समझें मर्म।
हिंसक पशुता त्याग दें, यही मनुज का धर्म।।
देश विदेशों में बने, सबके अपने धाम।
सबका ईश्वर एक है, भिन्न भिन्न हैं नाम।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’