प्रभु की दया असीम है.....
प्रभु की दया असीम है, जो मागें लें आप ।
काम करें निष्काम जब, मिट जाएँ सब पाप ।।
अपने दिल में झाँकिये, सदा मिलेंगे राम ।
निर्मल मन से याद कर,जपें सबेरे शाम।।
महल सम्पदा जोड़ कर, व्यर्थ अकड़ते आज ।
किस्मत जब भी रूठती, छिन जाते हैं ताज ।।
जीवन में जब क्रोध के, उठने लगें गुबार ।
समझो तब फिर लग रहे, कष्टों के अम्बार ।।
कितने कंटक राह में, बिछे पड़े हैं आज ।
कौन बुहारेगा उसे, चहुँ दिश है आवाज ।।
मन संवेदनशील हो, तो कर शुभ अनुमान ।
अंतर्मन में शांति हो, दूर भगे अभिमान ।।
दुर्गम पथ जब भी लगे, जीवन हो दुश्वार ।
प्रभु से लगन लगाइए, सभी हटेंगे भार ।।
जीवन की इस डोर को, थामे रखना नाथ ।
अगर कहीं यह टूटती, होते तभी अनाथ ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’