पिछला बरस गुजर गया.....
पिछला बरस गुजर गया, नया बजाता साज ।
द्वार खड़ा स्वागत करे, नया वर्ष फिर आज ।।
दिल से सभी निकाल दें, घात और प्रतिघात ।
जख्मों में मरहम लगा, भूलें कल की बात ।।
क्या पाया क्या खो दिया, शेष बचा जो पास ।
जोड़ घटाना व्यर्थ है, रहे भोर की आस ।।
कभी न पछताना पड़े, छेड़ो मत वह राग ।
जीवन में ऐसा करो, मिलजुल खेलें फाग।।
बीते पल को भूलकर, कुछ अच्छा ही सोच ।
गुजरे हुए अतीत से, दिल में पड़ें खरोंच ।।
सही धर्म इंसानियत, इसमें सबकी शान।
पंडित, मुल्ला, पादरी, पहले हैं इंसान ।।
इस बगिया के फूल हैं, चर्चित हो यह बाग ।
जग देखे इस बाग को, भूल जाँय सब राग।।
नया वर्ष आकर खड़ा, देता है आवाज।
हिलमिल कर आगे बढ़ो, मधुर बजाओ साज।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’