प्रभु हमको कुछ ज्ञान दो.....
प्रभु हमको कुछ ज्ञान दो, हरण करो सब पीर ।
अंतर्मन को शांति दो, व्यर्थ न चित्त अधीर।।
उम्र गुजरती जा रही, नहीं छूटता मोह ।
जग बातें मिथ्या लगें, भक्ति छिपी है खोह।।
मृग तृष्णा में न फँसे, मन में रहे न पाप ।
लोभ मोह के जाल से, सदा बचावें आप ।।
मान और अपमान से, मुझे उबारो नाथ ।
शरण आपकी आ गये, कभी न छोड़ें हाथ ।।
अनजाने अपराध पर, कभी न होवें रुष्ट ।
जीवन जैसा है दिया, उससे हैं संतुष्ट ।।
मुझसे भी गलती कभी, हो सकती श्री नाथ ।
आखिर मैं इन्सान हूँ , झुका हुआ है माथ ।।
नहीं और कुछ चाहिए, मेरा मन निष्काम ।
मुझसे जितना बन पड़ा, आया जग के काम ।।
करें नित्य यह प्रार्थना, भटकें कभी न राह ।
दया दृष्टि मुझ पर रहे, यही हमारी चाह ।।
आप जगत के हैं पिता, हम सब हैं संतान ।
बरखा हो आशीष की, सब पर कृपा निधान ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’