राजघाट में उदास हिन्दी
राजघाट में उदास हिन्दी-
गांधी समाधि के पास बैठी ,
अपना दुखड़ा सुना रही थी
ओैर लगातार अपनी उपेक्षा पर
आँसुओं की धारा बहा रही थी।
तभी एक सरकारी दूत आया,
उसे पुचकारा और फरमाया
चल उठ-अब मुँह- हाथ धो ले
अपने आँचल से बहते
आँसुओं को पोंछ ले
देख तेरे लिये फिर भारत सरकार का
अंग्रेजी में सरकुलर आया है,
जिसमें चौदह सितम्बर को
हिन्दी-डे सेलिब्रेट करने का
आदेश फरमाया है ।
तुझे इस वर्ष भी
पूरे जोश खरोश के साथ
याद किया जायेगा -
देश के सभी कार्यालयों को
फूल मालाओं और बैनरों से
सजाया -सॅंवारा जाएगा ।
तेरे त्याग,बलिदान और
राष्ट्र भक्ति के किस्से ,
जगह-जगह सुनाये जायेंगे ।
समाचार पत्रों में
तेरे सभी हितैषियों के भी
अनेक फोटो नजर आएँगे ।
तू व्यर्थ ही यहाँ बैठे -बैठे
गांधी जी को
डिस्टर्ब कर रही है ।
और हमारी अच्छी खासी
सरकार को
बदनाम कर रही है ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’