रचा मंत्र है शांति का.....
रचा मंत्र है शांति का, औ गाया नित गान।
आदिकाल से तब बनी, भारत की पहचान।।
विश्व शांति सद्भावना, से ही जग उद्धार।
खुशहाली की थाप सँग,संकट हटें हजार।।
युगों-युगों से कर रहे, विश्व शांति का जाप।
जल थल नभ पाताल के, दूर किये संताप।।
अतिथि देव होता यहाँ, जाहिर है पहचान।
संस्कृतियाँ आती रहीं, सदा मिला सम्मान।।
विक्रम-से, चाणक्य से, सूरवीर गंभीर।
राणा सांगा क्षत्रपति, पोरष से हैं वीर।।
भारत का दर्शन यही, सदियों उड़े कपोत ।
शांति शक्ति आराधना, हिन्दुस्तानी स्त्रोत।।
पवन मेघ गिरि वृक्ष सब, ईश्वर के उपहार।
इन सबकी आराधना, संस्कृति के आधार।।
अवतारों की भूमि है, ऋषियों का यशगान।
भारत में मिलकर सभी, गाते मंगल गान।।
राम कृष्ण गौतम शिवा, नानक व महावीर।
भारत धरती धन्य है, सूफी संत फकीर।।
वेद और उपनिषद में, विश्व शांति संदेश।
ज्ञान योग विज्ञान से, पारंगत यह देश।।
राष्ट्र संघ में छा गया, अपना अनुपम देश।
लुभा रहा है विश्व को, भारत का गणवेश।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’