राष्ट्र भक्ति और सेवा के नारे सभी.....
राष्ट्र भक्ति और सेवा के नारे सभी,
उड़ रहे हैं फिजाओं में तिनकों-से अब ।
मूर्तियाँ जो मंदिर में रखवाईं थीं,
देखते - देखते सब वे खंडित हुईं ।
आज नजरें जहाँ तक भी दौड़ाओगे,
चंद गद्दारों को तुम वहाँ पाओगे ।
सबके सब झूठ के हैं पुलिन्दे बने,
देश के वास्ते वे हैं खतरे बने ।
वंदनाएँ गुँजाते थे जन- गण की जो,
वे भी खामोश हैं पत्थरों की तरह ।
आज दुबके हैं कहीं गुमनामी में फिर,
या भटकते फिरें मुफलसी दौर में ।
राजनीति अॅंधेरों के कब्जे में हैं,
देश मेरा लुटेरों के कब्जे में है ।
इन लुटेरों से हमको ना मोहताज रख,
मेरे भगवन मेरे देश की लाज रख ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’