राष्ट्रवाद की बात पर.....
राष्ट्रवाद की बात पर, कट्टरता का शोर।
सात सदी पश्चात् अब, कैसी होगी भोर।।
आजादी के पूर्व में, हिन्दू मुस्लिम एक।
राष्ट्रधर्म के सामने, नत मस्तक थे नेक।।
आजादी जब मिल गई,भूल गए सब छंद।
कट्टरता ऐसी बढ़ी, हुए सभी मति मंद।।
नेताओं की भीड़ में, घुस आए शैतान।
राष्ट्रभक्ति को त्याग कर, कैसे हैं हैवान।।
भारत को सुलगा रहे, भड़काएँ नित आग।
जयचंदों की आड़ ले, खेलें खूनी फाग।।
देशप्रेम-अभिव्यक्ति को, कैसे रखें सहेज।
करते वंदेमातरम्, का विरोध चंगेज।।
भारत की जयकार से, जो करते इंकार।
ऐसे राष्ट्र-विरुद्ध का, करिए बंटाढार।।
आहत करते राष्ट्रध्वज,लहराते ध्वज पाक।
भारत की जय से विलग, रहते कुछ नापाक।।
राष्ट्रधर्म को भूलकर, राष्ट्र द्रोह का जोर।
संकट पैदा कर रहे, नित नारों का शोर।।
टुकड़े-टुकड़े गैंग के, नहीं इरादे नेक।
सजग सभी हो जाइए, ऐसे खड़े अनेक।।
आँख कान होते हुए, बनें नहीं धृतराष्ट्र।
तुष्टिकरण करके इन्हें, खंडित करें न राष्ट्र।।
वोट धुरंधर कुछ बने, भ्रमित कर रहे देश।
छुटकारा इनसे मिले, तब बदले परिवेश।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’