सभी दिशाएँ गा उठीं, नमो नमो.....
जन जन में उत्साह की, फूँकी ऐसी तान ।
सभी दिशाएँ गा उठीं, नमो नमो का गान ।।
वयोवृद्ध नेतृत्व को, बैठाया दीवान ।
बागडोर को थामने दौड़ गए श्रीमान ।।
दौड़े ऐसे दौड़ में, देख सभी हैरान ।
सुनने को छोटे पड़े, भारत के मैदान ।।
खाई में हाथी गिरा, गइ लालटेन टूट ।
साइकिल पंचर हो गई, इनकी किस्मत फूट ।।
तरकस, तीर कमान का, बुरा हुआ है हाल ।
सारी तिकड़म रह गई, गली न कोई दाल ।।
भाषण शैली देखकर,अटल आ गए याद ।
नमो नमो को है मिली, उन जैसी ही दाद ।।
छक्के चैके मार कर, दिया सभी को मात ।
दुर्ग दंभ के ढह गए, मिली जीत सौगात ।।
दिन प्रतिदिन कुछ कर रहे, नहीं बैठते शांत ।
उनकी शैली देख कर, विपक्ष हुआ अशांत ।।
काम चोर आलस्य का, बुरा हुआ है हाल ।
सभी काम में जुट गए,देख सभी खुशहाल ।।
भ्रष्टाचारी डर गये, सुन मोदी की बात ।
अब दिन अपने लद गए, हम खाएँगे मात ।।
कूड़ा करकट साफ हो, दिया नेक संदेश ।
गाँव शहर को देखना, बदलेगा परिवेश ।।
शासन तंत्र दुरूस्त हो, लगे हुए दिन रात ।
सब में यह आशा जगी, बने बिगड़ती बात ।।
परदेशी भी हो गए, कायल उनके आज ।
विश्व पटल में छा गए, बनकर के सरताज ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’