सरकारी व्यवस्था.....
एक सरकारी
चिड़िया घर में
जिस रोज
भूखे अजगर के पिंजड़े में
कुछ जिंदा मुर्गियाँ
परोसी जाती हैं ।
उस रोज
दर्शकों की भीड़
कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है ।
सरकारी मेहमान बना अजगर
किसी दार्शनिक मुद्रा में
अजगर करे ना चाकरी
पंछी करे ना काम ....
गुनगुनाता हुआ
मन ही मन हॅंसता रहता है ।
दर्शकगण कौतूहलवश
मौन खड़े होकर
मुर्गी को जिंदा निगलने की
लोमहर्षक लीला को निहारने
घंटों प्रतीक्षा करते रहते हैं ।
वहीं दूसरी ओर
पिंजड़े के एक किनारे दुबकी
बेचारी मुर्गियाँ
थर - थर काँप रही होती हैं।
और इस सरकारी व्यवस्था पर
आँसू बहा रही होती हैं ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’