शांति गीत को दें विराम अब.....
शांति गीत को दें विराम अब,वीरों का जयगान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
छùवेश धर खड़ा हुआ है, दुश्मन सीमा पार सुनो।
शांति हरण चाहे जब करता, रावण की हुंकार सुनो।।
राम संग में खड़े हमारे, हम मिलकर अभिमान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
धीर वीर नायक ने अपने, अवरोधों को दूर किया।
दिल में काँटेे चुभे हुए थे, हर संकट को दूर किया।।
उगे नहीं फिर से विषपायी, देशभक्ति का मान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
देशद्रोह के बीज पनपते, मठा डाल चाणक्य बनें।
राष्ट्रधर्म पर न्यौछावर हों, हम सब भैया औ बहनें।।
जन्मभूमि से मिला सुधा रस,उस अमरित का पान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
बहुत उगाई हमने खेती, भेदभाव-मजहब वाली।
अनाचार ने पैर पसारे, खूब सही धमकी -गाली।।
शत्रु-चाल ने आग लगाई, फिर उस पर संधान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
हिन्दू,मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, माना सब अपने भाई।
क्यों तलवारें खिंचती रहतीं, आपस में हाथा पाई।।
हम धरती माँ की संतानें, भारत पर अभिमान करें।
जगो कलमकारो सरहद के, प्रहरी का सम्मान करें।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’