सृष्टि रचियता ने दिया.....
सृष्टि रचयिता ने दिया, हरा भरा संसार ।
बदले में वह चाहता, रखें इसे गुलजार ।।
हम कृतज्ञ हैं ईश के, वही हमारे साध्य ।
पाखंडों में मत फँसे, हैं सबके आराध्य ।।
समय तौलता हर खड़ी, सबकी सुनता बात।
बड़ बोलों की बात पर, समय चक्र की घात।।
इतना भी मत हाँकिए, पंछी ही उड़ जाय ।
दाना व्यर्थ पड़ा रहेे, पुण्य न मिलने पाय ।।
जनमन में होती खुशी, यदि मिलता है न्याय।
उचित फैसला ही सदा, दूर करे अन्याय ।।
बड़ भागी तन है मिला, बनो न तुम नादान ।
सद्गुण ही अपनाइए, जिसमें है कल्यान।।
नेक राह पर ही चलें, मानवता के साथ ।
मर्म यही सब धर्म का, थामें मानव हाथ ।।
त्याग तपस्या ज्ञान में, हमसे ऊँचा कौन ।
अहंकार जग जानता, देख रहा है मौन ।।
ज्ञानी पंडित दे रहे, दूजों को उपदेश ।
खुद ही वे धारण करें, अज्ञानी परिवेश ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’