उपचारों के नाम पर.....
अस्पताल मंदिर हुये, यहाँ बसें भगवान ।
उपचारों के नाम पर, मत चूसो तुम प्रान ।।
समझ ईश तुमको यहाँ, सभी नवाते शीश ।
मानव दुख से मुक्त हों, सबको दो आशीष ।।
कुछ सौदागर बन गये, पीड़ा लूट खसोट।
रखी तिजोड़ी को भरें, लेके मन मे खोट।।
यश अपयश इस लोक में,सब अपने ही हाथ।
जितना इसे कमा सको, यही रहेगा साथ।।
जो जैसी करनी करे, मिलता वैसा दाम।
कर्मों के आधार पर, टिके हुए परिणाम।।
उचित फीस स्वीकारिये, उठें दुआयें हाथ।
पीड़ित सेवा भाव को, रखें दिलों में साथ।।
नहीं दुखाएँ दिल कभी, सपनों में भी आप ।
पता नही किस आह पर, बढ़ जाएँ संताप ।।
आस्था औ विश्वास का, कर दो ऐसा मेल ।
स्वस्थ निरोगी सब रहें, यह तन का है खेल ।।
यथा शक्ति नैवेद्य ही, स्वीकारें करतार ।
जीवन रक्षक ही बने, हे युग के अवतार ।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’