अग्नि सदा देती है आँच.....
अग्नि सदा देती है आँच ।
ज्ञानी बन, पुस्तक को बाँच।।
मार्ग देख कर, चलें सभी,
राहों में बिखरे हैं, काँच।
क्यों करता चोरी नादान,
ईश्वर करता सबकी जाँच।
नाच न आए आँगन टेढ़ा,
बोलो जीवन में कुछ साँच।
बढ़ी उमर चलो सम्हल कर,
कभी न पथ पर भरो कुलाँच।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’