बदला है संसार, समय की बलिहारी है.....
बदला है संसार, समय की बलिहारी है।
चमचों की जयकार,समय की बलिहारी है।।
आरक्षण अधिकार, नहीं कोई अब पिछड़ा।
फैला भ्रष्टाचार, समय की बलिहारी है।।
उपदेशों की बाढ़, छा गई है अब जग में।
इसमें भी व्यापार, समय की बलिहारी है।।
विलग हुए माँ बाप, बैठकर मन में सोचें।
नव-पीढ़ी उपहार, समय की बलिहारी है।।
दुहराता इतिहास, सजग तुम रहना भाई।
बने यही आधार, समय की बलिहारी है।।
पुत्र-मोह से घिरे, दलों के नेता गण हैं।
उनकी अब भरमार, समय की बलिहारी है।।
भटक गई है नीति, अर्थ-लालच भरमाया।
सेवा को दुत्कार, समय की बलिहारी है।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’