बजती कर्म युद्ध की भेरी.....
बजती कर्म युद्ध की भेरी।
बैठा क्यों अब करता देरी।।
कामचोर भ्रष्टाचारों ने,
मचा रखी है हेरा-फेरी।
देश के अंदर शत्रुघाती,
जनता ने भी आँख तरेरी।
माना बहुत समस्या छाईं,
मिल-जुल निपटा तेरी-मेरी।
संभव जग में सब कुछ होता,
बना हुआ क्यों अपना बैरी।
सुख शांति समृद्धि बढ़ेगी,
देख रही नव पीढ़ी तेरी।
देश उड़ाने भरने आतुर,
सिद्धी जगत में होगी चेरी।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’