भ्रष्टाचारी कभी न डरता.....
भ्रष्टाचारी कभी न डरता ।
अपने घर की कोठी भरता।
पेंशन वेतन सब है मिलता,
तानाबाना फिर भी बुनता।
सरकारी कुर्सी पाकर के,
नैतिकता की कभी न सुनता।
जितनी बड़ी पोस्ट होती है,
उतनी ही वह जेबें रखता।
नेता पर उँगली हैं तनतीं,
पर जनता को यही है डसता।
बदल गईं सरकारें कितनी,
भ्रष्टाचार कभी न हटता।
जब कोई आवेदन देता ,
उसका कागज कभी न बढ़ता।
मन चाहे लड्डू है खाता,
खाना इनका पूरा पचता।
बड़े प्रबल हैं भ्रष्टाचारी,
हर देशों की यही विवशता।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’