धरती का उपकार, भूल मत जाना भाई.....
धरती का उपकार, भूल मत जाना भाई।
सुखद प्रकृति उपहार, भूल मत जाना भाई।।
जीवन शैली नेक, मजा जीने का तब है।
है अधर्म अति भार, भूल मत जाना भाई।।
भारत की संस्कृति, सभी को रही लुभाती।
जग करता जयकार,भूल मत जाना भाई।।
हिन्दुस्तान की जय, जिनसे न बोला जाता।
व्यर्थ करें तकरार, भूल मत जाना भाई।।
बना रहे सद्भाव, सही राहों पर चलिए।
झरें न आँख-अँगार,भूल मत जाना भाई।।
लालच का परिवेश, बढ़ा शोषण का फंडा।
मिलकर करें विचार, भूल मत जाना भाई।।
अधिकारों को छोड़, ध्यान कर्तव्यों पर दें।
कर जनता उद्धार, भूल मत जाना भाई।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’