दुखिया है संसार, कभी विचलित मत होना.....
दुखिया है संसार, कभी विचलित मत होना।
कंटक पथ भरमार, कभी विचलित मत होना।
मानव बन भगवान, जगत को राह दिखाता।
भुजबल है आधार, कभी विचलित मत होना।।
नेक बनें हैं मार्ग, निरंतर रहना चलते ।
हो सुकर्म विस्तार, कभी विचलित मत होना।।
बनी रहेगी शान, सभी को मिल-जुल बढ़ना।
रोड़े दिखें हजार, कभी विचलित मत होना।।
दुनिया है अनमोल, रतन सब भरे पड़े हैं।
जीने में ही सार, कभी विचलित मत होना।।
संघर्षों की राह, सदा मुश्किल की होती।
होगी जयजयकार,कभी विचलित मत होना।।
रचें विश्व इतिहास, प्रगति की धार बदल दें।
मिलते कष्ट अपार, कभी विचलित मत होना।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’